हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पताल के बाल रोग विभाग ने बच्चों के इलाज में प्ले थेरेपी को शामिल करते हुए एक नई पहल की है। खासतौर पर ऑटिज्म से पीड़ित और जिन बच्चों का शारीरिक विकास उनकी उम्र के अनुसार नहीं हो पाया है, उनके इलाज में यह थेरेपी बेहद कारगर साबित होगी। प्ले थेरेपी से न केवल बच्चों को बीमारी से उबरने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके दर्द का एहसास भी कम होगा।
बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. ऋतु रखोलिया ने बताया कि शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए पोषण के साथ प्रोत्साहन, खेलकूद, सुरक्षित और प्रेमपूर्ण वातावरण जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों का 80 प्रतिशत दिमागी विकास उनके शुरुआती दो वर्षों में ही हो जाता है। ऐसे में खेल, हंसी, मस्ती और शिक्षा का उनके विकास में अहम योगदान होता है।
इसी सोच के तहत विभाग ने बुधवार को पांच साल तक के बच्चों के लिए प्ले रूम शुरू किया है। जिले में बच्चों के लिए प्ले थेरेपी आधारित इलाज की सुविधा देने वाला यह पहला अस्पताल बन गया है। प्ले रूम में सामान्य खिलौनों के साथ-साथ शैक्षणिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देने वाले विशेष खिलौने भी उपलब्ध कराए गए हैं।
अस्पताल के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने प्ले रूम का उद्घाटन करते हुए कहा, “बच्चों को बचपन से ही अच्छा और सकारात्मक वातावरण देना जरूरी है ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास उनकी उम्र के अनुसार हो।”
यह पहल लंबे समय से बाल रोग विभाग का सपना रही है, और अब इसे साकार किया गया है। अस्पताल प्रशासन ने इस प्रयास को बच्चों के विकास और उपचार में एक मील का पत्थर करार दिया है।