गौला किनारे बसे परिवारों का अतिक्रमण कार्रवाई के खिलाफ विरोध, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन

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हल्द्वानी। गौला नदी के किनारे बीते दो दशकों से बसे दलित और अन्य समुदायों के लोगों के खिलाफ अतिक्रमण हटाने की प्रस्तावित कार्रवाई को लेकर हलचल तेज हो गई है। बुधवार को जवाहर नगर वार्ड 13, 14 और 15 के निवासियों ने उपजिलाधिकारी कार्यालय परिसर में जोरदार प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम ज्ञापन सौंपा।

प्रदर्शनकारियों की अगुवाई पार्षद एडवोकेट धर्मवीर, पार्षद सलमान सिद्दीकी और पार्षद प्रतिनिधि हेमंत साहू ने की। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि बिना वैकल्पिक पुनर्वास के उनके पक्के भवनों को नहीं तोड़ा जाए। ज्ञापन में कहा गया कि गौला नदी से लगभग 100 फीट की दूरी पर बसे इन परिवारों को राज्य सरकार और नगर निगम द्वारा बीते 20-25 वर्षों से बिजली, पानी और सड़कों जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

प्रभावितों के पास 15 से 20 साल पुराने बिल भी मौजूद हैं, जो उनके दावों को बल देते हैं कि उन्हें प्रशासनिक मान्यता प्राप्त है। लोगों का कहना है कि उन्होंने जीवनभर की कमाई से ये घर बनाए हैं, जिनमें मंदिर भी निर्मित हैं। ऐसे में बिना किसी नोटिस के घर खाली कराने की कार्रवाई न केवल अन्यायपूर्ण, बल्कि अमानवीय भी है।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि यदि प्रशासन को अतिक्रमण हटाना ही है, तो पहले उन्हें सम्मानजनक पुनर्वास दिया जाए, अन्यथा उन्हें वर्तमान स्थान पर ही स्थायी रूप से बसाया जाए।

इस बीच, प्रशासन की ओर से उपजिलाधिकारी राहुल शाह के नेतृत्व में एक संयुक्त टीम ने बीते दिन अतिक्रमण वाले क्षेत्र का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद झोपड़ियां डालकर रह रहे लोगों को चेतावनी दी गई कि वे स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाएं, अन्यथा बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन का कहना है कि रेलवे स्टेशन के निकट स्थित गौला नदी क्षेत्र में लंबे समय से अस्थायी रूप से झोपड़ियां डालकर अतिक्रमण किया जा रहा है, जिससे नदी की स्वाभाविक धारा और पर्यावरणीय संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।


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