सरकारी अस्पताल में अत्याधुनिक तकनीक से कंधे की सर्जरी सफल, मरीज को मिला नया जीवन

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हल्द्वानी: हड्डी रोग से पीड़ित मरीजों के लिए राहतभरी खबर सामने आई है। अब उन्हें निजी अस्पतालों की लंबी दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी, क्योंकि डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में अत्याधुनिक ऑर्थोस्कोपी मशीन की मदद से उन्नत सर्जरी की जा रही है। इसी क्रम में हाल ही में एक महिला का दूरबीन विधि द्वारा सफल ऑपरेशन कर उसे नई ज़िंदगी दी गई।

बिन्दुखत्ता, लालकुआं निवासी 49 वर्षीय मुन्नी देवी पिछले एक महीने से दाहिने कंधे में असहनीय दर्द से पीड़ित थीं। उन्हें चोट लगने के बाद न सिर्फ़ दर्द हो रहा था, बल्कि उनका हाथ उठना भी बंद हो गया था। परिवार की मदद से वे सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के अस्थि रोग विभाग में पहुंचीं। ओपीडी में किए गए परीक्षणों के बाद डॉक्टरों को पता चला कि महिला के कंधे की मांसपेशियों — रोटेटर कफ — में गंभीर फटाव है।

चिकित्सकों ने महिला को ऑपरेशन की सलाह दी, जिसके बाद अस्थि रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. ईश्वर धर्मशक्तू ने विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. गणेश सिंह के मार्गदर्शन में ऑर्थोस्कोपी मशीन से दूरबीन विधि द्वारा सर्जरी की। इस तकनीक में स्पेशल एंकर धागों से मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ने का कार्य किया गया। ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और अब मरीज तेजी से स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं।

डॉ. ईश्वर धर्मशक्तू ने बताया कि रोटेटर कफ टियर कंधे की उन चार मांसपेशियों और नसों के समूह के फटने को कहा जाता है, जो कंधे की हड्डी को उसके स्थान पर स्थिर रखते हैं और उसकी गति में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल की अस्थि रोग ओपीडी हर मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को लगती है, जिसमें हड्डी रोग से पीड़ित मरीजों को परामर्श और सर्जरी की सुविधा दी जाती है।

इस उपलब्धि पर राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने डॉ. ईश्वर धर्मशक्तू और पूरी अस्थि रोग विभाग की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में महंगे इलाज का बोझ झेलने में असमर्थ मरीजों के लिए डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल एक वरदान साबित हो रहा है। लगातार नई तकनीकों के प्रयोग से यहां जटिल सर्जरी भी सफलतापूर्वक की जा रही हैं, जिससे विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को लाभ मिल रहा है।

इस सफल ऑपरेशन में अस्थि रोग विभाग के डॉ. ईश्वर धर्मशक्तू के साथ एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. गौरव और अन्य स्टाफ का भी विशेष योगदान रहा।


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