लालकुआं। कर्बला की सरज़मीन पर दी गई ऐतिहासिक कुर्बानी की याद में यहां एक पुरनूर “शहीद-ए-आज़म कांफ्रेंस” का आयोजन किया गया। हज़रत इमाम हुसैन (रज़ियल्लाहु अन्हु) और इमाम हसन मुज्तबा (रज़ियल्लाहु अन्हु) की याद में आयोजित इस रूहानी कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत कर अपनी अकीदत पेश की।
कार्यक्रम की सरपरस्ती उलमा-ए-किराम और मुफ़्तियान-ए-इज़ाम द्वारा की गई। महफ़िल की शुरुआत नात-ए-रसूल-ए-मक़बूल ﷺ, मसनून दुआओं और रूहानी ख़िताबात से हुई, जिसने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया।
वक्ताओं ने कर्बला की दर्दनाक घटना का तफ़सील से ज़िक्र करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने हक़, इंसाफ़ और इस्लाम की हिफाजत के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन ज़ुल्म और बातिल के सामने कभी सर नहीं झुकाया। उन्होंने कहा कि कर्बला का पैग़ाम आज भी इंसानियत, सब्र, साहस और अम्न की प्रेरणा देता है।
पूरे कार्यक्रम के दौरान माहौल रूहानियत से सराबोर रहा। अहले-अकीदा इमामे आली मक़ाम की याद में अश्कबार होकर दुआओं में मसरूफ़ नज़र आए।
इस कांफ्रेंस का आयोजन तंजीम रज़ा कमेटी लाइनपार, संजय नगर की जानिब से किया गया, जिसमें इमाम मुफ्ती वासिफ रज़ा, इमाम हसीन रज़ा, मौलाना अब्दुल हफीज, हाफिज मेराजुन्नवीं, हाफिज फहीम रज़ा, मुरादाबाद से मुफ्ती इमरान हंफी, बरेली से राशिद रज़ा मरकज़ी, शीशगढ़ से कारी ज़फ़र वज़्मी सहित स्थानीय रज़ा कमेटी के सदस्यगण मौजूद रहे।