नैनीताल में चुनावी बवाल: हाईकोर्ट में गूंजे जनप्रतिनिधियों के अपहरण के आरोप, पुलिस पर लापरवाही के सवाल

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नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट में गुरुवार को पांच निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लापता होने के मामले में अहम सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता डी.एस. पाटनी और ए.एस. रावत ने अदालत को बताया कि एक वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि दिकर सिंह मेवारी को कुछ लोग जबरन खींचकर ले जा रहे हैं, जबकि मौके पर मौजूद एक सशस्त्र पुलिसकर्मी मुँह फेरकर खड़ा है।

एसएसपी नैनीताल ने कोर्ट को बताया कि पहले से दिए गए हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत वोटिंग से 10 दिन पहले सुरक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की गई, लेकिन संबंधित प्रतिनिधि अपने घर पर नहीं मिले। उनके परिजनों ने पुलिस को बताया कि वे रिश्तेदारों के घर गए हैं और सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही पांचों जनप्रतिनिधियों ने शपथपत्र देकर स्वेच्छा से मतदान से दूर रहने की बात कही थी।

हालांकि, कोर्ट में पेश किए गए वीडियो में न सिर्फ दिकर सिंह मेवारी बल्कि तीन अन्य जनप्रतिनिधियों को भी पोलिंग बूथ से जबरन ले जाते दिखाया गया।

कोर्ट में मौजूद शिकायतकर्ताओं ने गंभीर आरोप लगाए —

  • अधिवक्ता डी.एस. मेहता ने कहा कि अपहरणकर्ताओं के नाम और विवरण के साथ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की गई, लेकिन तल्लीताल थाने के एसएचओ ने शिकायत लेने से मना कर दिया।
  • उमा बिष्ट ने बताया कि उनके भाई दीप सिंह बिष्ट को सुबह 7 बजे घर से निकलने के बाद अगवा कर लिया गया।
  • विनोद कोटालिया ने आरोप लगाया कि उनके भाई प्रमोद सिंह को होटल से लोग खींचकर ले गए।
  • संजीव जंतवाल ने बताया कि उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो देखा, जिसमें उनके पिता विपिन सिंह जंतवाल को कुछ लोग ले जा रहे थे।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी वीडियो और सबूत नैनीताल के जिलाधिकारी और एसएसपी को सौंपे जाएं और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त 2025 को होगी।
अदालत ने सभी शपथपत्रों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।


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